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शुक्रवार, 17 अप्रैल 2015

गुरुदेव के भजन-67(Gurudev Ke Bhajan-67)




मै आई हूँ   दर  तेरे   - मै आई 
तू विनती सुन लेना मेरी -  मेरी 
कि बाबा है यही इच्छा मेरी 


सुनलो मत देर लगाना बाबा जल्दी  जल्दी आना 
मै तो हूँ तेरी दासी मेरी विनती मत ठुकराना 
छोड़ा झूठा जग ये सारा मुझे तेरा एक सहारा 
तू आके बचा ले  नैया मैने है तूझे पुकारा 
संकट से मुझे बचाना - संकट से 
 किअब लज्जा रखना मोरी 
मोरी कि बाबा ली है शरण मैने तोरी 
-

पापों से हमें बचाना माया और मोह हटाना 
चौरासी के फंदे से बाबा तुम हमें छुड़ाना 
हर चिन्ता दूर करना मेरे सिर पे हाथ तू धरना 
मुक्तिपथ को बतलाकर तू भव से पार करना 
दिल है मेरा  घबराया -  दिल मेरा
 कि  बाबा करना न देरी 
देरी कि बाबा घड़ी परीक्षा की मोरी 


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