काहे ना लीनी खबरिया ,मै तो भई बावरिया
कबसे तेरी राह निहारें ,भूल गए क्यों डगरिया
कबसे प्यासे नैना मोरे बनके चातक द्वार पे तोरे
प्यास बुझे मेरे नैनन की बरसो बनके बदरिया
तुझ बिन बाबा कौन है मेरा तेरे ही दर पे डाला है डेरा
सुध लेवो अब आकर मोरी ताना मारे है नगरिया
झूठे है ये बंधन सारे आई हूँ द्वार तिहारे
रंग दो अपने रंग में बाबा आज मेरी चुनरिया
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