तेरे दर पे मै आया हूँ अपनी बिगड़ी बनाने को
कहने को है सारा जहां पर कोई नहीं अपना
मेरे दिल ने जो चाहा है पूरा होगा कभी सपना
ऐसा हो जाये अगर बाबा छोड़ दूँ मै ज़माने को
कोई ऐसा सहारा नहीं समझूं मै जिसे अपना
कोई साथी नहीं गम का जग सारा है इक सपना
तेरे दर पे मै आया हूँ दास्ता ये सुनाने को
मिल जाये जो रहमत तेरी आज बाबा अगर मुझको
करदो बाबा जो नज़रे करम कोई कमी नहीं मुझको
ठुकराना नहीं यूं ही बाबा मेरे फसाने
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