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सोमवार, 13 अप्रैल 2015

गुरुदेव के भजन-44 (Gurudev Ke Bhajan-44)



कर्मों का फल पाया आया हार के, मेरे भोले बाबा तेरे द्वार पे
आया मै हार के तेरे ही द्वार पे, शरण मै आपके

ये जग झूठा झूठी माया , जान लिया तो पीछा छुड़ाया ,
भाई बन्धु कुटुंब कबीला , कोई न साथ  निभाया


मै  हूँ मूर्ख  तुम हो ज्ञानी तुमसे हमारी कुछ नहीं छानी ,
मेरी तुझसे प्रीत पुरानी कोई न लाड लडाया


भूल क्षमा तू करदे हमारी शरण पड़ी हूँ मै दुखियारी
मन में जगाई जोत तुम्हारी तुझसे ही वर पाया


जीवन है बाबा तेरे हवाले हम  बच्चो को तू ही संभाले
तेरी छवि को निरख निरख  कर मन मेरा हर्षाया 


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