मनवा रे बोल जय बाबा की बोल , तेरा जीवन ये बन्दे अनमोल
पैसे को पाके काहे तू इतराये , बाबा जी नैया तेरी पार लगाये
झूठा जगत है सारा आँखे खोल
झूठी ये रिश्तेदारी झूठे है नाते , झूठी है दुनिया सारी झूठी है बातें ,
ज़िंदगी को तू यूं ही न रोल
माया ने लूटा तुझे सपने दिखा के , आजा शरण बाबा की सिर को झुका के ,
अपने जीवन में रंग ज़रा घोल
काम क्रोध लोभ मोह अहंकार छोड़ दे , विषयों से तू अपने मुख को मोड़ ले ,
अपने मन की कुण्डी ज़रा खोल
सुख को जो चाहे आजा बाबा के द्वारे ,जीवन के ये क्षण यूं न गवां रे ,
ओ तू विषयों विकारों में न डोल
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