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मंगलवार, 14 अप्रैल 2015

गुरुदेव के भजन-51 (Gurudev Ke Bhajan-51)




मनवा रे बोल जय बाबा की बोल , तेरा जीवन ये बन्दे अनमोल 

पैसे को पाके काहे तू इतराये , बाबा जी नैया तेरी पार लगाये 
झूठा जगत है सारा आँखे खोल 

झूठी ये रिश्तेदारी झूठे है नाते , झूठी है दुनिया सारी झूठी है बातें ,
ज़िंदगी को तू यूं ही न रोल 

माया ने लूटा तुझे सपने दिखा के , आजा शरण बाबा की सिर को झुका के ,
अपने जीवन में रंग ज़रा घोल 

काम क्रोध लोभ मोह अहंकार छोड़ दे , विषयों से तू अपने मुख को मोड़ ले ,
अपने मन की कुण्डी ज़रा खोल 

सुख को जो चाहे आजा बाबा के द्वारे ,जीवन के ये क्षण यूं न गवां रे ,
ओ तू विषयों विकारों में न डोल 

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