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सोमवार, 23 मई 2016

भजनमाला ---11

जब तेरी डोली निकाली जायेगी 
बिन मुहूर्त ही उठा ली जायेगी 

उन हकीमों से  कहो  यूँ बोलकर 
करते थे दावा किताबें खोलकर 
ये दवा हरगिज़ न खाली जायेगी 

ज़र सिकंदर का पड़ा सब रह गया 
मरते दम लुकमान से यूँ कह गया 
ये घड़ी हरगिज़ न टाली जायेगी 

क्यों चमन पर हो रही बुलबुल निसार 
है बड़ा माली शिकारी होशियार 
मारकर  गोली गिरा ली जायेगी 

क्यों मुसाफिर तू अकड़ता है यहाँ 
ये किराए का मिला तुझको मकां 
कोठरी खाली करा ली जायेगी 
@मीना गुलियानी 

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