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मंगलवार, 31 मई 2016

मेरे सपने

मेरे सपने मेरी आँखों में लहराते है
पर वो बाहर बह नहीं पाते है
मेरे सपने होठों पर थरथराते है
पर कुछ कह नहीं पाते है
मेरे सपने छोरहीन नदी के समान है
मन ही इसका महासागर है
मेरे सपनों में संवेदना का पुल है
जो मुझे दुनिया से जोड़ता है
कभी सपनों में अाक्रांत कभी अशांत होता हूँ
मेरे सपने मेरी यथास्थिति का आभास है
मेरे सपनो में क्षितिज का विस्तार है
शब्दों की मार्मिक पीड़ा का संसार है
मेरे सपनो में है एक आकृति एक स्मृति
एक अभिव्यक्ति एक स्पर्श की अनुभूति
मेरी मुट्ठी में बंद है मेरे सपनो का अवशेष
जिनको बड़े यत्न से मैने संजो रखा है
@मीना गुलियानी  

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