मैने सोचा कि बुलाऊँ तुमको
आई तुम्हारी आहट आये हो तुम
तुम न आते तो भी सहर आ जाती
रात गुजरी तेरी याद में बदलते करवटें
आँखों में नशा हसरतों का बाकी रहा
प्यास दिल की अधूरी ही रह गई
दिल को हासिल हुई कुछ तल्खियाँ
और बिस्तर में बाकी रही सलवटें
किश्ती किनारे से न लग पाई
रह गई मौजो की अधूरी हसरतें
दफन हुए हमारे अरमा भी आज
मिल न पाई तुम्हे कभी फुरसतें
@मीना गुलियानी
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