यह ब्लॉग खोजें

रविवार, 15 मई 2016

याद आ गया कोई

फिर सुहानी शाम को याद आ गया कोई
मीठे मीठे सपनों को फिर दिखा गया कोई

चाँदनी ये रात है गुमसुम सा आसमान है
मधुर मीठी नींद में सो रहा जहान है
थपकियाँ दे दे के फिर मुझको सुला गया कोई

दिल में तेरी याद है उमंगों भरा जहान है
धीमी पवन में झूम रहा फूलों का गुलिस्तान है
खुशबु अपनी फिर से मुझ पर लुटा गया कोई

सोने दो पलकों की छाँव में इस सुहाने गाँव में
कहदो हवाओं से ज़रा झूमें चंचल घटाओं में
वादियों में प्रेम के गीत गा गया कोई
@मीना गुलियानी

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें