उठ जाग मुसाफिर भोर भई अब रैन कहाँ जो सोवत है
जो सोवत है खोवत है जो जागत है सो पावत है
उठ नींद से अखिया खोल ज़रा और अपने प्रभु से ध्यान लगा
ये प्रीत करन की रीत नहीं रब रब जागत है तू सोवत है
जो काल करें सो आज करले जो आज करें सो अब करले
जब चिड़ियन खेती चुग डारी फिर पछताए क्या होवत है
नादान भुगत करनी अपनी ओ पापी पाप से चैन कहाँ
जब पाप की गठरी सीस धरि फिर सीस पकड़ क्यों रोवत है
@मीना गुलियानी
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