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सोमवार, 16 मई 2016

प्रेम में होते धोखे हज़ार

प्रेम में होते धोखे हज़ार
इसमें खुशियाँ है कम
बेशुमार है गम
 इक हँसी और आँसु  हज़ार

तपते साये मिले गम के नाले मिले
जिस जगह भी  देखा दिल में छाले मिले
पर मिला न कहीं भी करार

आँसु आहें मिली शीतल छाँव न मिली
गर्मी छलती रही ठंडी राह न मिली
दुःख भरे दिखे सपने हज़ार

दिखे रोते  हुए गम को ढोते हुए
बालू की रेत पर दुःख समोते हुए
इस समुन्द्र का कोई न पार
@मीना गुलियानी


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