यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 14 मई 2016

रहूँगी मै पिया तेरे ही संग

तेरे संग पिया जीवन ये बाँध लिया है
संग तेरे चलूँ मै तो हरदम
तेरे नाम को मैने भी जान लिया है
 रहूँगी मै पिया तेरे ही संग

चाहे दुश्मन ये सारा ज़माना बने
चाहे जीवन  फ़साना बने
तेरे हाथों में में सौंपी है मैने डोरी
पिया ले चल तू संग

मैने खुशियाँ भी पाई है तुझसे सनम
तू ही धरती है मेरी तो तू ही गगन
बोलो कैसे छिपाऊंगी दुनिया से अब
तेरी उल्फ़त सनम
@मीना गुलियानी  

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें