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बुधवार, 18 मई 2016

तुम मुझे आवाज़ न देना

कैसी है रात आई तुम मुझे आवाज़ न देना
मै तेरा एहसास करलूँ सपनों से न जगा देना

तेरी खबर है मुझको तुझे भी खबर है या नहीं
तेरा हाल है मुझे पता तुझे मेरी खबर है या नहीं
मेरा दिल तेरा बनके तुझे जगाए तो बता देना

मेरी मंजिल भी तो तू है अब कैसे यकीं दिलाऊँ तुझे
तू हमेशा मुझमें थी शामिल कैसे ये समझाऊँ तुझे
मेरा दिल कैसे अब सम्भले मुझको तुम बता देना
@मीना गुलियानी 

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