तेरी याद क्यों रह रह कर आ रही है
क्यों ये मेरे दिल को फिर तड़पा रही है
दिन ढल गया मुझको सोना है अब
मगर तेरी तस्वीर क्यों गुनगुना रही है
जिंदगी की मैने तो एक नई राह चुनी
वो भी तेरे नज़दीक मुझे लेके आ रही है
सूरज ने चाँद से कुछ ऐसा कहा क्या
रोशनी उसकी वापिस लौटकर जा रही है
तूने क्या छुपके मुझे उस पार से सदा दी
तेरी आवाज़ क्यों मुझको बहका रही है
@मीना गुलियानी
क्यों ये मेरे दिल को फिर तड़पा रही है
दिन ढल गया मुझको सोना है अब
मगर तेरी तस्वीर क्यों गुनगुना रही है
जिंदगी की मैने तो एक नई राह चुनी
वो भी तेरे नज़दीक मुझे लेके आ रही है
सूरज ने चाँद से कुछ ऐसा कहा क्या
रोशनी उसकी वापिस लौटकर जा रही है
तूने क्या छुपके मुझे उस पार से सदा दी
तेरी आवाज़ क्यों मुझको बहका रही है
@मीना गुलियानी
वाह... कितनी भाव भरी रचना।
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