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गुरुवार, 26 मई 2016

ज़रा आहिस्ता चल

दर्द सीने में है कुछ  कम
ज़रा आहिस्ता चल
तेरे  आने की सुनके मची हलचल
ज़रा आहिस्ता चल

तू है मसरूफ वहाँ मै हूँ बेताब यहाँ
तेरे पास आने के न दिखे कोई निशाँ
कैसे  टुकड़ो में जिए जाएँ हम ------------ज़रा आहिस्ता चल

दिल मेरे बस में नहीं तू मेरे पास  नहीं
कैसे कहदूँ तुमको कि मै उदास नहीं
तू जो आ जाए तो दुःख होगा कम----------- ज़रा आहिस्ता चल

जिंदगी सूनी मेरी है अधूरी तेरे बिन
तू है खुशियों से भरा हो जाए सुहाना दिन
मिले जो तू सब पा जाएँ हम----------------- ज़रा आहिस्ता चल
@मीना गुलियानी 

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