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शनिवार, 21 मई 2016

भजनमाला -----6



ओ मुसाफिर इक दिन तुझको चलना 

चुन चुन जो  तूने महल बनाया 
कितने दिन सोये रहना 
मात-पिता और भ्राता भगिनी 

कोई नहीं तेरा अपना 

दुनिया है दो दिन का मेला 
जीवन है दो दिन का खेला 
दुनिया में जो देख रहा तू 
सब रंग रंगीला सपना 

कब तक पगले भटक रहा तू 
घोर नींद से जाग ज़रा तू 
सुन रे मन मत  बावरे 
अपने पथ पर चलना 
@मीना गुलियानी 

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