तेरे दर को छोड़कर किस दर जाऊँ मै
सुनता मेरी कौन है किसे सुनाऊँ मै
जबसे याद भुलाई तेरी लाखों कष्ट उठाये है
न जाने इस दिल के अंदर कितने पाप कमाए है
हूँ शर्मिंदा अापसे क्या बतलाऊँ मै -------------
मेरे पाप कर्म जो तुमसे प्रीत न करने देते है
जब चाहूँ मै मिलूँ आपसे रोक मुझे ये लेते है
कैसे स्वामी आपका दर्शन पाऊँ मै -------------
तुम हो नाथ वरों के दाता तुमसे सब वर पाते है
ऋषि मुनि और योगी सारे तेरा ध्यान लगाते है
दे दो छींटा ज्ञान का होश में आऊं मै -------------
@मीना गुलियानी
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