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गुरुवार, 19 मई 2016

भजनमाला - 4

यौवन के अन्धे समझ ज़रा ये रात गुज़रने वाली है 
बिजली सी चमक है मत इतरा ये रात गुज़रने वाली है 

तेरी आँखों में जाला छाएगा तेरे कानो में ताला पड़  जाएगा 
फिर कैसे सुनेगा शास्त्र बता ये रात गुज़रने वाली है 

चेहरा तेरा मुरझाएगा होठों की लाली उड़ जायेगी 
फिर देख किसे मुस्काएगा ये रात गुज़रने वाली है 

चमकीले बाल तेरे काले जिन पर तू फूला मतवाले 
बुढ़ापा सब नाज़ मिटाएगा ये रात गुज़रने वाली है 

तेरी काया कांपेगी पत्ते सी तेरे दाँत गिरेंगे फूलों से 
फिर कैसे जपेगा नाम बता ये रात गुज़रने वाली है 

अनमोल समय बीता जाए तू मन में जीवन जोत  जगा 
जो बन जाए तू उसको बना ये रात गुज़रने वाली है 
@मीना गुलियानी 

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