खुली वादियाँ सुहाना समा
सुनाती है तुमको ये दास्तां
छाई है देखो हरसू बहार
गुलों पे देखो आया निखार
होने लगी अब उमंगे जवां
बागों में पंछी घूम रहे है
भँवरे गुलों संग झूम रहे है
खुशियाँ लुटाती हुई वादियाँ
झरनों का पानी लगा आज बहने
सुनो आज मेरी लगी हूँ मै कहने
करो माफ़ मेरी गुस्ताखियाँ
उठाओ लुत्फ़ तुम इस जिंदगी का
मिलेगा न मौका तुम्हें इस ख़ुशी का
करें न ज़माना तुम्हें बदगुमाँ
@मीना गुलियानी
सुनाती है तुमको ये दास्तां
छाई है देखो हरसू बहार
गुलों पे देखो आया निखार
होने लगी अब उमंगे जवां
बागों में पंछी घूम रहे है
भँवरे गुलों संग झूम रहे है
खुशियाँ लुटाती हुई वादियाँ
झरनों का पानी लगा आज बहने
सुनो आज मेरी लगी हूँ मै कहने
करो माफ़ मेरी गुस्ताखियाँ
उठाओ लुत्फ़ तुम इस जिंदगी का
मिलेगा न मौका तुम्हें इस ख़ुशी का
करें न ज़माना तुम्हें बदगुमाँ
@मीना गुलियानी
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