रे मन अब तो चेत रे , बिरथा जन्म न जाए
काम क्रोध विषयों ने घेरा , गुरूजी हमको आसरा तेरा
काल ने पासा दिया फेंक रे ------बिरथा --------------
धन दौलत ये माया काया इससे तो मानव घबराया
कपट का धरकर भेस रे ---------बिरथा ----------------
गुरूजी खेवनहार हैं तेरे क्यों घबराये ऐ मन मेरे
सँवारे किस्मत का लेख रे --------बिरथा ---------------
गुरूजी पालनहार हैं तेरे न घबराना ऐ मन मेरे
खेवनहार तेरी नाव के रे ---------बिरथा -------------------
@मीना गुलियानी -
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