मैं तो कबसे खड़ी इस पार
तेरा पथ कबसे रही निहार
किसी हे उलझन हमको बता जा
दिल को मेरे धीर बंधा जा
व्याकुल मन को भी समझा जा ----
इक पल चैन न तुझ बिन पाऊँ
हर पल पथ निहारती जाऊँ
कब सुध लोगे समझ न पाऊँ -----
नैनन की तुम प्यास मिटा दो
इक पल तुम बस दर्श दिखा दो
इतनी भी ज्यादा तुम न सज़ा दो --
@मीना गुलियानी
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