आरती तेरी गुरूजी मैं गाऊं
नित चरणन में शीश नवाऊँ
जब विपदा ने मुझे सताया
गुरूजी आपने मुझे बचाया
कैसे मैं उपकार भुलाऊँ -------------------
हम अज्ञानी आये दर पर तेरे
छाये हैं घनघोर अँधेरे
बंधन काटो मुक्ति पथ पाऊँ --------
माया ने हमको उलझाया
गुरूजी ने सत्यपथ बतलाया
कृपा करो तो पग मैं बढ़ाऊँ ----------
लख चौरासी के हैं फेरे
काटो भवबंधन के घेरे
भवसागर से मैं तर जाऊँ -----------
@मीना गुलियानी
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