यह ब्लॉग खोजें

सोमवार, 14 सितंबर 2020

तेरा इंतज़ार आज भी है (तर्ज -किसी नज़र को तेरा इंतज़ार )

मेरी नज़र  को तेरा इंतज़ार आज भी है  

चले भी आओ कि दिल बेकरार आज भी है 


वो रास्ते हैं मुबारक जहाँ से तुम गुज़रे 

शूल भी फूल बने वो बहार आज भी है -------


तेरे चरणों की धूल मैंने  पाई थी जहाँ 

ज़र्रे ज़र्रे पे उसके निशान आज भी है -----------


तेरे दीदार को तरस  रही हैं आँखे मेरी 

चले भी आओ इन्हें  इंतज़ार आज भी है -------

@मीना गुलियानी 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें