जैसे भी निभ पाए तुमसे , सबसे बनाके रखो
गुरूजी सबकी मुरादों को ,पूरी करते हैं
आते सवाली जो वो , सबकी झोली भरते हैं
उनके दरबार में न भेद को छुपाके रखो --------
कहो न कुछ भी गर , वो तो जान लेते हैं
सबकी इच्छाओं को वो , पूरा मान देते हैं
छुपाये छुप न सकेगा, न तुम छुपाके रखो ---------
गुरूजी का दर तो , सारे जग से न्यारा है
जिसका न कोई यहाँ , वो गुरूजी का प्यारा है
उनसे ये रिश्ता अपना ,तुम भी बनाके रखो -------
@मीना गुलियानी
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