मैं कबसे लिए आस दरबार आया
गुरूजी न अब तक दर्श दिखाया
सवालों में उलझा हूँ उलझन मिटाओ ------------------
है कठिन डगर और राह न जानू
धरूँ पाँव आगे तो मुड़ना न जानू
गुरूजी मुझे सत्यपथ दिखलाओ -----------------------
तेरा धाम सबसे है कितना अनोखा
ये दुनिया सदा हमको देती है धोखा
मायामोह से मुक्ति दिलाओ -----------------------------
@मीना गुलियानी
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