अब जाग रे बन्दे भोर भई , तू अब तक काहे सोवत है
उठ गुरूजी का तू ध्यान लगा , अपने मन मंदिर में उनको बिठा
उठ नींद से अखियाँ खोल ज़रा ,जग जागत है तू सोवत है --------------
मन चंगा करले तू अपना, छोड़ मोहमाया जग इक सपना
सपनों की दुनिया छोड़ दे तू ,क्यों बात बात पर रोवत है -------------------
गुरूजी से नाता जोड़ ले तू ,मन को मत भटका मोड़ ले तू
माया की गठड़ी सर पे तेरे,क्यों तू अज्ञान में खोवत है -------------
@मीना गुलियानी
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