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शनिवार, 12 सितंबर 2020

तू अब तक काहे सोवत है (तर्ज उठ जाग मुसाफिर भोर भई )

अब जाग रे बन्दे भोर भई , तू अब  तक काहे सोवत है 


उठ गुरूजी का तू ध्यान लगा , अपने मन मंदिर में उनको बिठा 

उठ नींद से अखियाँ खोल ज़रा ,जग जागत है तू सोवत है --------------


मन चंगा करले तू अपना, छोड़ मोहमाया जग इक सपना 

सपनों की दुनिया छोड़ दे तू ,क्यों बात बात पर रोवत है -------------------


 गुरूजी से नाता जोड़ ले तू ,मन को मत भटका मोड़ ले तू 

माया की गठड़ी सर पे तेरे,क्यों तू अज्ञान में खोवत है -------------

@मीना गुलियानी 

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