यह ब्लॉग खोजें

बुधवार, 16 सितंबर 2020

बन्दे न भूल प्रभु संसार से जाना है(तर्ज -होठों से छू लो तुम - वैराग्य )

बन्दे न भूल प्रभु संसार से जाना है --------- 

तू छोड़ दे सब बंधन न पल का ठिकाना है 


यहाँ मात पिता भाई मतलब के साथी हैं 

जब स्वार्थ निकल जाए तेरे संघाती हैं 

ये दुनिया दो दिन की जो मुसाफिरखाना है -------


 यहाँ रावण से योद्धा आये और चलते गए 

कई वीर सिकंदर से हाथों को मलते गए 

रह गया यहीं उनका सब माल खज़ाना है ----------------


धन दौलत और माया न संग में जायेगी

दुनिया की हर वस्तु यही पे रह जायेगी 

माटी से तू आया माटी में समाना है -------------


सुन अंत समय तेरे कुछ भी न जाएगा 

भज ले हरि को प्राणी नहीं फिर पछतायेगा 

सब छोड़के तू बन जा प्रभु का दीवाना है ------------

@मीना गुलियानी 

 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें