तेरा जीवन ओ बंदे अनमोल
पैसे को पाके काहे तू इतराये
गुरूजी नैया तेरी पार लगाए
अपनी वाणी में रस ज़रा घोल --------
काम,क्रोध,लोभ,मोह ,अहंकार छोड़ो
गुरूजी बतायें झूठी बातों को छोड़ो
अपने जीवन को विषयों में न रोल -----
झूठे हैं नाते जग के झूठी प्रीत सारी
तोड़ो भ्रमजाल सारे काहे होशियारी
मन को पक्का बनाके रख न डोल ------
@मीना गुलियानी
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