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शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

तर्ज़ - सौ साल पहले मुझे तुमसे प्यार था

 गुरु जी तुम्हारे दर का मैं सेवादार था 

आज भी हूँ और कल भी रहूँगा 


तुम बहुत दयालु हो सबसे प्रेम करते हो 

जो कोई हो दीन दुखी उसका गम दूर करते हो 

सदा करें याद तुमको दिल बेकरार था ---------


इस दिल को मिलता है करार दर पे आने से 

नैया को मिले पतवार फ़िक्र न अब ज़माने से 

भंवर में अटकी नैया करो भव से पार है -------


मैं तो हूँ अज्ञानी मुझे हर ज्ञान तुम दे दो 

मेरे नैना हैं तरसें इन्हें दर्शन ज़रा दे दो 

दिल को मेरे  तेरे दर्शन की आस है ------

@मीना गुलियानी 


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