यह ब्लॉग खोजें

शनिवार, 12 सितंबर 2020

गुरूजी तुमको पुकारा है (तर्ज --एक तेरा साथ हमको दो जहाँ से )

 गरीबों के हो नाथ गुरूजी तुमको पुकारा है 

थाम लो हमको ,बढ़ती समय की धारा  है 


नैया मेरी तो मंझधार में फंस रही 

निकालो तुम मंझधार से 

लहरों की आंधी जीवन में चली 

सम्भालो तुम पतवार से 

देकर अपना साथ तूने भव से उबारा है -----


तेरी कृपा से ही जीवन संवर जाता 

जो भी नाम को है  ध्याता 

पलट देते  हो तकदीर को उसकी 

जो भी  गुण तेरे गाता 

 भटके राही  को मिल जाए किनारा है -------

@मीना  गुलियानी 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें