मैंने हर पल तुमको पुकारा
शरण तेरी आया गुरूजी ----
तेरा ही बस लिया सहारा
शरण तेरी आया गुरूजी -------
मोहमाया के बंधन कैसे कोई काटे
जितने दूर भी जाएँ उतने बढ़ते जाते
सर पे गुरूजी हाथ तुम्हारा ---शरण ----
माया की आंधी ने हर पल हमें नचाया
जितना दूर भी भागें सर पर गहरा साया
भवसागर से पार उतारा -----शरण ------
तृष्णा ने जी भर लूटा काम ,क्रोध बढ़ाया
तेरे नाम को जपते तेरे द्वारे आया
लिया है हमने तेरा सहारा -----शरण -----
@मीना गुलियानी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें