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गुरुवार, 4 जून 2015

माता की भेंट - 103


तर्ज -----कभी तेरा दामन 

मैया तेरे दर को न छोड़ेंगे हम ,  चाहे जमाना ढाए हमपे सितम 
मैया तेरे दर को न छोड़ेंगे हम , वहीँ मेरी जन्नत जहां तेरे कदम 

तेरे दर पे मैया आता रहूँगा ,  तेरे नाम के गुण गाता रहूँगा 
तुझको ही मैया मनाता रहूँगा , होगा कभी तो मैया तेरा कर्म
 मैया तेरे दर को न छोड़ेंगे हम 

तेरी छाँव में मैया  पलता रहूँगा ,  तेरा नाम लेके ही चलता रहूँगा 
लगेगी जो ठोकर सम्भलता रहूँगा, कभी दूर होगा मैया मेरा भी गम 
मैया तेरे दर को न छोड़ेंगे हम 

तेरी आस मैया लगाता रहूँगा ,  जोत लगन की जलाता रहूँगा 
नाम तेरे को ध्याता रहूँगा ,  टूटे न आस तेरी आया शरण 
मैया तेरे दर को न छोड़ेंगे हम 



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