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शनिवार, 6 जून 2015

,माता की भेंट - 116



आ जा माँ तुझको पुकारे ,  नैना तो रो रो हारे 
सुनले माँ आकर दर्द मेरा 

मैया मुझको भरोसा तेरे नाम का 
तेरे बिन मेरा जीना किस काम का 
तेरी याद तो मुझे पल पल रुलाये माँ ,चैन  न आये माँ 

हुआ मुझसे जो भी कसूर माँ 
मेरा सज़दा करो मंज़ूर माँ 
बच्चा समझकर माफ़ करो माँ, पार करो माँ 

लूटा माया मोह अज्ञान ने 
माता दिया है सहारा तेरे नाम ने 
तेरा नाम ही भव से पार लगाये माँ, तुझको मनाये माँ 

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