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गुरुवार, 4 जून 2015

माता की भेंट - 91



ओ दिसदा दरबार पहाड़ा वाली दा 
चल भगता कर दीदार पहाड़ा वाली दा 

दूर दूर तो संगता आइया उच्चिया लम्बिया चढ  के चढ़ाइया 
हर दिल विच वसदा प्यार  पहाड़ा वाली दा 

था था पर्वत देन नज़ारे , पत्थरा विच गुँजन जयकारे 
ऐथे होवे मंगलाचार  पहाड़ा वाली दा 

सबदे मन दी आस पुजावे , कोई न दर तो खाली जावे 
है रहमत दा  भंडार  पहाड़ा वाली दा 

होके ध्यानू वांग दीवाना ,  हस हस के दे सर नज़राना 
मन बन जा खिदमतगार  पहाड़ा वाली दा 

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