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गुरुवार, 4 जून 2015

माता की भेंट - 105



   तर्ज --------तुम बिन सावन  कैसे बीता 

मै हूँ  माता बाल तुम्हारा , शरण तेरी आया माँ - शरण तेरी आया 
तेरे द्वार पे हाथ पसारा , शरण तेरी आया माँ 

काम क्रोध भटकाए लोभ भी बढ़ता  जाये 
तृष्णा की अग्नि में सब कुछ जलता जाये 
मुझे आसरा माता तुम्हारा  शरण तेरी आया माँ 

गम  के अँधेरे साये ,चारो तरफ से छाये 
तुझ बिन मेरी माता , मुझको कौन बचाये 
डोले नैया ,दूर किनारा  शरण तेरी आया माँ 

मनवा मोरा गाये , तेरे गीत सुनाये 
तुझ बिन  मेरी  माता कौन मुझेः अपनाये 
सिर पे है मैया हाथ तुम्हारा  शरण तेरी आया माँ 

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