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शनिवार, 6 जून 2015

माता की भेंट - 118



तर्ज -------जय जय हे जगदम्बे माता ,


 जो भी दुखिया दर पे आता , जो भी दुखिया दर पे आता
खाली जो झोली लेके आता ,  तुझसे भरा के माँ ले जाता 

जो माता तुझको पुकारे , तूने उसी के दुखड़े टारे 
विपदाओं को हरके तूने,  जोड़ा उन संग नाता 

तेरे द्वार के हम चाकर ,  द्वार पे तेरे सब है बराबर 
उसको हाथ बढ़ाके उठाये,  जो भी ठोकर खाता 

ऊँच नीच का भेद न कोई ,  पाया तेरा पार न कोई 
तेरी महिमा जग से निराली , हे जगदम्बे माता 

विनती करूँ मै लाज तू रखना,  हर पल मेरा ध्यान तू रखना 
चरणो में तेरे आके मैया , शीश ये अपना झुकाता 

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