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सोमवार, 8 जून 2015

माता की भेंट - 132


तर्ज;------इस भरी दुनिया में 

तेरे बिन माता मेरी, दिल को सहारा न मिला 
किसको मै हाल सुनाऊँ , सुनने वाला न मिला 

इक तेरे चरणो की धूलि की मुझे ख्वाहिश है 
सारी दुनिया है पर कोई हमारा न मिला 

तेरे चरणो के सिवा  जाऊँ कहाँ मात मेरी 
तेरे चरणो के सिवा कोई ठिकाना न मिला 

दिल मेरा गम से भरा मैया जी अब रोता है 
भंवर में डोल रहे है माँ किनारा न मिला 

कब तलक नज़रे कर्म मुझपे न माँ होगी तेरी 
शरण में ले लो मुझे कोई आसरा न मिला 

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