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रविवार, 7 जून 2015

माता की भेंट - 120



माता  जी तेरे द्वारे पर इक दुखिया अर्ज करे 
तुम बिन मेरा कोई नही जो विपदा मेरी हरे 

मेरी मैया तू है भोली भाली 
सारे जग की है रखवाली 
फिर मेरी बारी पे क्यों न 
माता ध्यान धरे तुम बिन मेरा कोई नही जो विपदा मेरी हरे 

तूने लाखों को पार उतारा 
सबकी विपदाओं को टारा 
मुझसे माता रूठ गई क्यों 
विपदा कौन हरे तुम बिन मेरा कोई नही जो विपदा मेरी हरे 

मैया भूलें मेरी बिसरा दो 
चरणो में माता अपने जगह दो 
बेटी माँ से दूर रहे 
दिल कैसे धीर धरे तुम बिन मेरा कोई नही जो विपदा मेरी हरे 

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