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रविवार, 7 जून 2015

माता की भेंट - 123


तर्ज ------बहारो फूल बरसाओ 

मेरी माँ अब तो आ जाओ ,  तुझे मैने पुकारा है 
मुझे तुम दर्श दिखला दो ,  तेरे बिन कौन हमारा है 

तेरे बिन माता सुध मेरी, जहां में कौन अब लेगा 
तेरा बेटा तो रो रो के माँ दर पे प्राण दे देगा 
न अब तुम देर माँ करना न जग में कोई हमारा है 

सुना है तुम तो माँ दुखियो के दुःख को दूर करती हो 
मेरी मैया हो क्यों रूठी  न नज़रे कर्म करती हो  
सुनो मेरी सदा को तुम तेरा ही मुझे सहारा है 

मै कबसे तेरी राहों में  बैठा पलको को बिछाए हूँ 
तेरी यादो के दीपक को मैया कबसे जलाये हूँ 
मैया तुम देर न करना न सूझे अब किनारा है 

मेरी सांसो की माला भी तुम्हारा नाम लेती है 
तेरे कारण तो मेरी माँ ये दुनिया ताना देती है 
न तुझको छोडू माँ मेरी छूटे जग ये सारा है 

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