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मंगलवार, 2 जून 2015

माता की भेंट - 61



मेरी भेंट करो स्वीकार,  तुम्हारे अर्पण है 
मै लाया आंसू चार , तुम्हारे अर्पण है 

मै एक अभागा प्राणी हूँ द्वार तुम्हारे आया ,
तुम्हे दया की देवी सुनकर  हूँ द्वार तुम्हारे आया 
मेरे पास है फूलो के हार  तुम्हारे अर्पण है 

तू सिंह वाहिनी मैया , तू ही चामुण्डा  काली 
सुन करके विनती तुमने , भक्तो की विपदा टाली 
मेरे हृदय की सुनो पुकार  तुम्हारे अर्पण है 

तुम कष्ट मिटादो मेरे , मै गीत तुम्हारे गाऊं 
हे रत्न सिहासन वाली , तेरे नाम की जोत जगाऊँ 
मेरे बिगड़े काम संवार  तुम्हारे अर्पण है 

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