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बुधवार, 3 जून 2015

माता की भेंट - 87



तर्ज -----जाने वो कैसे लोग थे 

मैया जी तेरे दर पे आके ,  दिल को करार मिला 
विषयो में भूले भटके को ,  तेरा द्वार मिला 

मोहमाया में उलझे हुए को  तूने  सुलझाया 
भटके हुए राही को माता तूने अपनाया 
तेरी कृपा से ही माता , गम से उबार मिला 

भटक चुके थे रास्ता हम तो गम की राहो  में 
टूट चुके थे दिल भी हमारे सूनी आहो में 
तूने  अपनाया हमे तो, तेरा प्यार मिला 

जीवन इक टूटा सपना था जब हमने जाना 
भूले राही ने माता तब अपना पथ जाना 
माता तेरी ममता का , मुझको उपहार मिला 

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