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सोमवार, 8 जून 2015

माता की भेंट - 133



तर्ज ----रमैया वस्तावैया 

नाम जब तेरा लिया , ध्यान जब तेरा किया , तूने दुःख दूर किया 

जग ने तो  माँ ठुकराया मुझे ,   तूने ही तो माँ अपनाया मुझे 
दुनिया ने तो भरमाया मुझे , तूने ही तो माँ सबसे छुड़ाया मुझे 
दिल तुझे याद करे ,माँ   फरियाद करे,  तूने दुःख दूर किया 

 मोह के जाल में , फंसके जंजाल में , घबराके माता पुकारा तुझे 
दिल मेरा माता पुकारे तुझे , तेरे बिनं कौन पार लगाये मुझे 
जाना न दूर कही , छोड़के मुझको कहीं ,  तूने दुःख दूर किया 

तेरी कृपा का सहारा मिला , डूबती नैया को किनारा मिला 
तुझसे दया की जो भीख मिली , माँ अंधे को जैसे तारा मिला 
कैसे मै दूर रहू, क्यों मै गम को सहू ,  तूने दुःख दूर किया 


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