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मंगलवार, 2 जून 2015

माता की भेंट - 60



बिगड़ी बनाने वाली जगदम्बिका तू ही  है 
जिसका न कोई जग में , उसकी सदा तू ही है 

तेरा नाम है वो साधन  , जो भव से पार करदे 
तेरी जोत की किरण इक ,  रोशन जहाँ को करदे 
मेरी लाज रखने वाली , मेरी आत्मा तू ही है 

तेरा द्वार छोड़कर मै,  जाऊँ कहाँ बता दे 
मै राह को हूँ भूला , मुझे रास्ता बता दे 
मै आस का हूँ पंछी , मेरा आसरा तू ही है 

मै बाल हूँ तुम्हारा , माता हो तुम भवानी 
तेरे सिवा मै किससे , अपनी कहूँ कहानी 
मेरे दुःख मिटाने वाली , ऐ मैया तू ही तू है   

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