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बुधवार, 3 जून 2015

माता की भेंट - 89



तर्ज ---जब हम जवां होंगे 

दर पे बुला माता , किस्मत जगा माता 
तेरी गुफा में बैठकर , फरियाद करेंगे , तुझे याद करेंगे 

तीर जुदाई के हम सह न पाएंगे , जल बिन मछली के भान्ति मर जायेगे 
गोदी तेरी में बैठकर दिल शाद करेंगे 

नही भरोसा कुछ भी इस जिंदगानी का, है इसकी औकात बुलबुला पानी का 
तू साथ है तो सब ग्रह इमदाद करेंगे 

भटक भटक कर दर दर ठोकर खाए हम , क्यों न  अपना जीवन स्वर्ग बनाये हम 
जो दूर माँ से है जन्म बर्बाद करेंगे 

मुझको मैया दुखो ने जो  घेरा है , मेरी रातो का  न  कोई   सवेरा है 
दुःख दूर करदे माँ तेरा धन्यवाद करेंगे 

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