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रविवार, 7 जून 2015

माता की भेंट - 127



द्वारे जो आये वो झोली भर ले जाए , मैया के  द्वारे से खाली कोई न जाये 

ये तो विपदा सभी की मिटाती है , खुशियाँ दोनों हाथों से लुटाती है 
आंसू पोंछे वही दुःख हरती वही  
वो तो सबकी ही आस को पुजाती है 

मेरी मैया का सबको सहारा है, सबने मैया जी तुमको पुकारा है 
दर्शन दे दो मैया , दुःख हर् लो  मैया 
मंझधार में बेडा हमारा है 

सबकी बिगड़ी माँ तूने सवारी है,   तू तो भक्तन की हितकारी है 
पापी मारे तूने कष्ट टारे तूने 
डूबती नैया पार उतारी है 

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