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शुक्रवार, 5 जून 2015

माता की भेंट - 109



चरणो में प्रणाम मै  सौ बार करता हूँ 
दिल में माता मै तेरा दीदार करता हूँ 

मै भटकता ही फिरा दुनिया के मेले में 
साथी कोई न मिला मुझको झमेले में 
तुझसा न देखा कोई इकरार करता हूँ 

किसी ने खोटा  समझकर ठुकरा दिया मुझको 
माया ने मोहजाल में उलझा दिया मुझको 
पापकर्मों में समय बर्बाद करता हूँ 

दिल में तुझको बसा लिया है माता अब मैने 
नाम के तेरे पहन लिए है माता ये गहने 
दास तेरा हूँ मैया इज़हार करता हूँ 

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