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गुरुवार, 4 जून 2015

माता की भेंट - 98



तर्ज ------बीते हुए लम्हों  की

माँ हाथ जुड़े है तेरे दरबार के आगे
न झुकेगा सर मेरा इस संसार के आगे

दिल में सदा गूंजे तेरे ही नाम की रटन
हर पल तेरे ही नाम को रटता रहे ये मन
माँ तेरी लगन के कभी टूटे न ये धागे

सांसो की डोरी को किया माँ तेरे हवाले
दे दे मुझे अँधियारे या तू कर दे उजाले
रखना तू मेरी लाज कोई दाग न लागे 

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