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रविवार, 7 जून 2015

माता की भेंट - 122


तर्ज -------बिंदिया चमकेगी 

मेरी जगजननी माँ, यूं मुझसे रूठो न 
जग ये सारा चाहे रूठे माँ 

मैने आना द्वारे तेरे , भलेन कोई  साथ चले 
गिर गिर के ठोकर खाके, मै फिर भी दर पे   आऊं 
तुझे मनाऊंगा, मै जोत जलाउंगा, झूठे चाहे रिश्ते नाते टूटे माँ 

मैने लिया सहारा तेरा,  मेरी और चाह नही 
माँ बेटे का नाता ऐसा , डोर कभी न टूटे 
मै तो आऊंगा , शीश झुकाऊँगा सारे नाते है झूठे माँ 

दुनिया ने तो माँ मुझको सताया , तू अब न ठुकराना 
ठेस लगी है दिल पर मेरे टूटे सहारे  झूठे 
मै दर तेरे आऊंगा ,दर्शन पाउँगा ,  मेरी लगन कभी न टूटे माँ 

मै गुनहगार हूँ मेरी माता , माँ भूले मेरी माफ़ करो 
मै बच्चा नादान हूँ तेरा अब न मुझे रुलाना 
 मुझे अपना लो माँ , गले से लगा लो माँ , यही विनती करू न रूठो माँ 

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