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मंगलवार, 2 जून 2015

माता की भेंट - 63



तुम मुझे पार करो या न करो , मै तेरा नाम लिए जाऊंगा 
इस जीवन में मिलो या न मिलो , मै तेरी आस  किये जाऊंगा 

तुमने ही पाल के मुझको किया इस काबिल ,
कैसे इस ऋण को चुका सकता हूँ ये है मुश्किल 
मुझमे जब तक है सलामत यह जी, मै तेरा गान किये जाऊंगा 

मेरी माँ वर दे मुझे , मेरे कदम रुक न सके  
मेरी आशा के दीपक  भी कभी बुझ न सके 
तुम मेरी प्यास बुझाओ या नही , मै चरण धोके पिए जाऊंगा 

मेरी ये स्वास की ज्योति जो हो बुझने वाली 
तो मुझे पास बुला लेना ओ शेरा वाली 
मेरा दम निकले तेरे कदमो में,  मैया ये विनती किये जाऊंगा 

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