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मंगलवार, 9 जून 2015

माता की भेंट - 149

मैया इस दुनिया में गम की आग में जलते जलते 
मै तो हार गई रे  - मै तो हार गई रे 
तुझ बिन मेरा कोई  न जग में आंसू आँख से छलके 
मै तो हार गई रे  -  मै तो हार गई रे 

माया ने लूटा है मुझको कैसा ये  जीना 
लोभ मोह ने जकड़ा मुझको डूबा है सफीना 
सुख की राह  में रोज़ ही अखियाँ हाथ से मलते -मलते 
मै तो हार गई रे 

जग से नाता तोड़के मैने दुःख बड़ा पाया 
तुमसे रिश्ता जोड़ा जबसे चैन मुझे आया 
गम की भंवर में डूबी मै तो रोज़ उबरते ढलते 
 मै तो हार गई रे 

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